मेरा बगीचा मेरी ख़ुशी
हरी घास यूँ जैसे बिछा गलीचा
मेरे घर में ऐसा है मेरा बगीचा
छुई-मुई है जैसे दुल्हन नयी-नवेली
छुते ही ये तो नखरे है दिखलाती
गेंदा, मनीप्लांट और चम्पा-चमेली
लगती मालती देखो कितनी प्यारी
मेरी रजनीगन्धा की बेल है निराली
तुलसी का गमला है सबसे न्यारा
उससे लगता मेरा बगीचा प्यारा
शीतलता और ख़ुशी देता मुझे बगीचा
अपने प्यार से इसे मैंने रोज़ है सींचा
चिड़िया, तितली इस पर गप्पे लड़ाती
हंसती-खिलखिलाती मन को भाती
फूल कभी ना मैं बगीचे के तोडती
सुबहो-शाम इनके लिए हूँ मैं जोडती
ये पूरा जग है दोस्तों, जैसे इक बगीचा
मिलकर सब इसको हर-भरा रखना
पर्यावरण को करना संतुलित सब
धरती को बचाना मिलकर सब.
बहुत सुंदर रचना है ।
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहित करने के लिए शुक्रिया आपका.
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