"सिरदर्द(Headache) के कारण और उनका निवारण"

 आजकल सिरदर्द एक आम बीमारी है, सिर दर्द शारीरिक दोष के कारण तो होता ही है लेकिन इसके अन्य कारण  भी होते हैं। तो आइये आज हम सिर दर्द के इन्ही कारणों और उनके निवारण की चर्चा करते हैं :-

 सिरदर्द के निम्न कारण  हैं:-


 
सिरदर्द के मुख्य कारण क्या हैं

 

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अत्यधिक व्यस्त दिनचर्या, तनाव युक्त जीवन, दूषित वातावरण, सामान्य रूप से भागदौड़ और गलत खानपान आदि कई कारणों से इंसान कई रोगों की चपेट में आ जाता है। 

इन्ही रोगों में से एक आम रोग सिर दर्द है, सिर दर्द का कारण भी कोई रोग ही होता है। यानि सिर दर्द होते ही रक्तचाप का रोगी समझ जाता है कि उसे रक्तचाप के कारण सिर दर्द है, अम्लपित का रोगी समझ जाता है कि  अम्लपित है, इसी तरह कब्ज, खांसी-जुकाम के रोगी भी सिर दर्द का कारण समझ जाते हैं। 

जिन लोगों को कारण समझ नहीं आता वे लोग चिकित्सक के पास जाते हैं और अपना इलाज करवाते हैं।  कई बार दवा के बाद भी कारण ना समझने की वजह से सिर दर्द रोगी लम्बे समय तक दर्द भोगता रहता है। 

और दवा भी खाता रहता है, इससे ना रोग का इलाज होता है बल्कि उन दवाओं का भी साइड इफ़ेक्ट(side effect) शुरू हो जाता है। 

 आइये अच्छी तरह से जानें:-


शरीर विज्ञानं के विद्वानों ने सिर के अंदर ३ मुख्य अंग बताये हैं। ये ३ अंग हैं:-

१. बृहद मस्तिष्क(Large Brain) :- 


 
बोलना, सुनना, स्पर्श करना सोच-विचार तथा स्मृति केंद्र ये सब इस मस्तिष्क(Brain) का काम है। 
 

२. लघु मस्तिष्क(Small Brain):- 


मांसपेशियों(Muscle) का संचालन तथा शारीरिक गतिविधियों का सन्तुलन ये मस्तिष्क(Brain) बनाये रखता है। इसमें वात तन्तु होते हैं।  

३. सुषुम्ना(Spinal Cord) शीर्षक:-


इसमें भी वात तन्तु होते हैं, ये मस्तिष्क(Brain) को संवेदनाओं(Emotions) से अवगत करवाता है, मस्तिष्क(Brain) की आज्ञा और सूचना सभी अंगों(Organs) को पहुंचता है।  

सिर दर्द के लक्षण:-


सिर में भारीपन होना, चटके पड़ना, कनपट्टी दुखना, पुरे सिर में दर्द होना, सेंक करने पर अच्छा लगना आदि। सिर दर्द(Headache) के २ खास भेद हैं:-

१. अंदरूनी(Internal) और

 २. बाहरी (External)

  1. अंदरूनी(आंतरिक): ये 10  प्रकार का होता है:-

1.*वातज 

2.*पित्तज(Biliary) 

3.*कफज 

4.*सन्निपात रक्तज 

5.*क्षयज

6.*कृमिज

7.*सूर्यावर्त

8.*अनन्तवात 

9.*अर्धावभेदक 

10*शंखज 

 

  1. बाहरी सिर दर्द:

    ये ४ प्रकार का होता है:-

१. इन्द्रलुप्त 

२. दारुणक 

३. अरुणशिक 

४. पतित 

इन सब सिर दर्द में शंखज नामक दर्द सबसे अधिक भयंकर, पीड़ादायक, जानलेवा दर्द है, इससे पीड़ित रोगी अगर अपना इलाज सही समय पर ना कराये तो मात्र ३ दिन में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। 
वैसे ज्यादातर लोगों में सूर्यावर्त यानि माइग्रेन नामक दर्द अधिक पाया जाता है, 

माइग्रेन(सूर्यावर्त):

ऐसा सिर दर्द जो सूर्य के आकाश में चढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है, दोपहर में दर्द तेज  हो जाता है और दिन ढलने के साथ दर्द कम होने लगता है। इसका ख़ास कारण पित्तदोष(Bilious) की अधिकता  है। 

 क्योंकि दर्द होने पर जी उलटी करने जैसा होता है। उलटी आने पर जी ठीक होने के साथ दर्द भी कम हो जाता है। 
 

माइग्रेन के कारण:-

अनुचित आहार-विहार, अजीर्ण(Indigestion), गर्म चटपटी चीजों का अधिक सेवन, रात को देर तक जागना, चिंता(Tension), शोक(Mourning), गुस्सा, एसिडिटी बनी रहना चाय, कॉफ़ी शराब का सेवन पित्त की वृद्धि(Increased bile) करता है। 

माइग्रेन(Migraine) का उपचार:-


सूर्योदय से पहले उठकर  पीकर शौच जाना, स्नान करना और मधुर वस्तुओं का सेवन करना जैसे  शहद  पानी में घोलकर शिकंजी बनाकर पीना, शुद्ध देसी घी की जलेबी दूध के साथ, गुलाबजामुन, मिठाई नाश्ते में करें ना कि तेज मिर्च-मसालों से बनी और तली हुई चीजें खाएं। 

दिन में २ बार घी  मिलकर नाक में २-२ बुँदे टपकाने से भी लाभ मिलता  है।  गुड़ के शर्बत में घी मिलाकर पीना चाहिए। सुबह और रात को सोने से पहले शौच जाना जरुरी है। 
 
उपरोक्त उपाय करने से पूर्व अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें।



 

6 टिप्पणियाँ

  1. Very informative and helpful post. some of the reasons were totally unknown to me.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (01-11-2020) को    "पर्यावरण  बचाना चुनौती" (चर्चा अंक- 3872)        पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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