Ayurveda Dictionary (glossary of Ayurvedic terms)



आयुर्वेद में जो शब्द use होते हैं वो हर किसी की समझ से बाहर होते है, इसलिए हम आज चर्चा करेंगे कुछ ऐसे ही शब्दों की जिनका उपयोग हम जब तब बोल-चाल में सुनते हैं लेकिन समझ नहीं पाते:-


 

[caption id="attachment_1019" align="alignnone" width="963"]Ayurveda Dictionary (glossary of Ayurvedic terms) imagesource: rishi-ayurveda[/caption]

Ayurveda Dictionary (glossary of Ayurvedic terms)-


 

 अनुपात -जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाये जैसे जल, शहद आदि।


 

अपथ्य -जो सेवन करने योग्य ना हो यानि त्याग करने योग्य।


 

अनुभूत -आजमाया हुआ। 


 

असाध्य -लाइलाज यानि जिसका इलाज ना हो सके। 


 

अजीर्ण -बदहजमी यानि पाचन क्रिया disturb होना। 


 

अभिष्यंदी -भारीपन और शिथिलता पैदा करने वाला जैसे दही


 

अनुलोमन -नीचे की तरफ गति करना। 


 

अतिसार -बार-बार पतले दस्त होना।


 

अर्श -बवासीर। 






 

अर्दित -मुंह का लकवा(paralysis) । 


 

आम -खाये हुए आहार को जब-तक वह पूरी तरह पच ना जाये, आम कहते हैं। 


 

आहार -खान-पान। 


 

ओज -जीवनशक्ति। 


 

उष्ण -गर्म। 


 

कष्टसाध्य -मुश्किल से होने वाला। 


 

कल्क -पीसी हुई लुगदी। 


 

क्वाथ -काढा। 


 

कर्मज -पिछले कर्मों के कारण होने वाला। 


 

कुपित होना -उग्र होना, बढ़ना। 


 

काढ़ा करना -द्रव्य को इतना उबाला जाये कि पानी जल कर १/४ रह जाए, इसे काढा करना कहते हैं। 


 

कास -खांसी। 


 

कोष्ण -कुनकुना गर्म। 


 

गरिष्ठ -भारी। 


 

गुरु -भारी। 


 

चातुर्जात -नाग-केसर, तेजपात, दालचीनी, इलायची। 


 

त्रिदोष -वात, पित्त, कफ। 


 

त्रिगुण -सत, रज, तम। 


 

त्रिकुट -सौंठ, पीपल, काली-मिर्च। 


 

त्रिफला -हरड़, बहेड़ा, आँवला। 


 

तीक्ष्ण -तीखा, पित्त कारक, 


 

तृषा -प्यास, तृष्णा। 


 

तन्द्रा -अधकच्ची नींद। 


 

दाह -जलन। 


 

दीपक -जो द्रव्य जठराग्नि तो बढाये पर पाचन-शक्ति ना बढ़ाये जैसे सौंफ। 


 

निदान -कारण, रोग उत्तपति के कारणों का पता लगाना(diagnosis)


 

नस्य -नाक से सूंघना। 


 

पंचांग -पाँचों अंग-फल, फूल, बीज, पत्ते और जड़।  


 

पंचकोल -पीपल, पीपलामूल और सौंठ।


 

पंचमूल बृहत -बेल, गंभारी, अरणी, पाटला, श्योनक। 


 

पंच मूल लघु -शालिपर्णी, छोटी कटेली, बड़ी कटेली, और गोखरू।(दोनों पंचमूल मिलकर दशमूल कहलाते है)


परीक्षित -आजमाया हुआ। 


 

पथ्य -सेवन योग्य। 


 

परिपाक -पूरा पक जाना, पच जाना। 


 

प्रकोप -वृद्धि, उग्रता, कुपित होना। 


 

पथ्या-पथ्य -पथ्य और अपथ्य।


 

प्रज्ञापराध -जान-बुझ कर अपराध कार्य करना। 


 

पाण्डु -पीलिया रोग, blood की कमी होना। 


 

पाचक -पचाने वाला। 


 

पिच्छिल -रेशेदार और भारी। 


 

बल्य -बल देने वाला। 


 

बृहण -पोषण करने वाला, टॉनिक। 


 

भावना देना -किसी द्रव्य के रस में उसी द्रव्य के चूर्ण को गीला करके सुखाना। जितनी भवना देना होता है उतनी ही बार चूर्ण को उसी द्रव्य के रस में गीला करके सुखाते हैं। 


 

मूर्छा -बेहोशी। 


 

मदात्य -अधिक मद्यपान यानि शराब करने से होने वाला रोग। 


 

मूत्र कृछ -पेशाब में रुकावट होना, कष्ट होना। 


 

योग -नुस्खा।


 

योगवाही -दूसरे पदार्थ के साथ मिलने पर उसके गुणों की वृद्धि करने वाला पदार्थ जैसे शहद। 


 

रसायन -रोग को दूर रख कर रोगप्रतिरोधक शक्ति की वृद्धि करने वाला पदार्थ जैसे हरड़, आंवला। 


 

रेचन -अधपके मल को पतला करके दस्तों द्वारा बाहर निकालने वाला पदार्थ जैसे त्रिफला, निशोथ। 


 

रुक्ष -रूखा। 


 

लघु -हल्का। 


 

लेखन -देह की धातुओं को और मल को सुखाने वाला, शरीर को दुबला करने वाला जैसे शहद(पानी के साथ) । 


वमन -उलटी। 


 

वामक -उलटी कराने वाला पदार्थ। 


 

वातकारक -वात यानी(वायु) को कुपित करने मतलब बढ़ाने वाला पदार्थ। 


 

वातज -वात दोष के कुपित होने पर इसके परिणाम स्वरूप हमारे शरीर में जो रोग पैदा होते हैं उन्हें वातज यानी वात से पैदा होना कहा जाता है। 




वातशामक -वात यानि वायु के प्रकोप को जो शांत कर दे उसे वात्तशामक कहते हैं। इसी तरह पित्तकारक, पित्तज, पित्तशामक और कफकारक, कफज, कफनाशक है। 


विरेचक -जुलाब जिससे पेट साफ किया जाता है। 


 

विदाही -जलन करके वाला। 


 

विशद -घाव सुखाने वाला और घाव भरने वाला।


 

वृष्य -पोषक और घाव भरने वाला। 


 

वृण -घाव। 


 

व्याधि -रोग, कष्ट। 


 

शमन -शांत करना। 


 

शामक -शांत करने वाला। 


 

श्वास रोग -दमा।


 

शूल -दर्द। 


 

शोथ -सूजन। 


 

शोष -सूखना। 


 

षडरस -पाचन में मददगार 6 रस जैसे- मधुर, लवण, अम्ल, तिक्त, कटु, कषाय। 






 

स्निग्ध -चिकना पदार्थ जैसे घी, तेल। 


 

सप्तधातु -शरीर में उपस्थित 7 धातु- मांस, रक्त, मेद, अस्थि, मज्जा, रस और शुक्र। 


 

सन्निपात -वात, पित्त और कफ तीनों के दोष से उतपन्न अवस्था यानि लकवा(paralysis)





 


स्वरस -किसी पदार्थ का खुद का रस स्वरस कहलाता है। 


 

संक्रमण -छूत का रोग यानि infection । 





 


साध्य -जिसका इलाज सम्भव हो। 


 

खाद्य पदार्थ -पचने में आसान भोजन। 


 

हिक्का -हिचकी। 


 




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