बच्चों की परवरिश में सहायक कुछ खास टिप्स

 This week's IndiSpire topic 

Giving birth to a child is not a greater thing but taking care is most important and also making a child a complete man .....#parentsresponsibility

दोस्तों, ये तो आप जानते ही हैं कि माता-पिता बनना एक बहुत विचित्र अहसास है. आप अपनी सन्तान का पालन-पोषण करते हुए हमेशा कुछ नया सीख रहे होते हैं. ये जरुरी नहीं कि आपकी सन्तान की संख्या क्या है. आप हर बार कुछ अच्छा और नया करने में ही अग्रसर रहते हैं. हर बार आपको ऐसा लगता है कि कहीं कोई कमी न रह जाये और आप और अच्छा करें. 

 

बच्चों की परवरिश में सहायक कुछ खास टिप्स


 

देखिये, बच्चे तो गीली मिटटी की तरह होते हैं. ये आप पर निर्भर  करता है कि आप उस मिटटी से क्या बनाते हैं. जैसा भी रूप आप उसे देना चाहे, दे सकते हैं. अपने बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाना और उनके सुखद भविष्य के निर्माण में सहयोग देना ही सही परवरिश कहा जाता है. आपको अपना व्यवहार ऐसा रखना होगा कि आपके बच्चे नटखट जरुर बनें लेकिन वो बिगड़े हुए न कहलायें.

परवरिश के लिए कोई एक नियम नहीं बनाया जा सकता. क्योंकि हर बच्चे की परवरिश का तरीका एक सा कभी नहीं होता. इसमें चाहे बच्चे से प्यार करना हो, उसका ख्याल रखना हो या उसके प्रति सख्ती बरतनी हो. हर बच्चे के लिए इनका ढंग भी अलग ही होता है. जैसे कि हम हर पौधे को एक सामान पानी नहीं दे सकते. क्योंकि गुलाब के पौधे को अलग मात्रा में पानी चाहिए और मान लीजिये नारियल का पौधा है तो उसे पानी ज्यादा देना होगा. इसी प्रकार हर बच्चे की परवरिश का तरीका भी अलग ही अपनाना होगा.

♥दोस्तों सबसे पहले तो ये कि परवरिश है क्या-

परवरिश का मतलब दोस्तों सिर्फ खाना-पिलाना, औढाना या पहनाना ही नहीं होता. इसका मतलब ये है कि उसे संस्कार कैसे दे रहे हैं. उसकी आदते, उसका व्यवहार, उसका बोलना बहुत सी चीजें उसकी परवरिश में अपना योगदान देती हैं.

♣बच्चों का होना अपना सौभाग्य समझें-


खुशकिस्मत हैं वो लोग जिनके घर में बच्चों की किलकारी गूंजती हैं. हम उन्हें ख़ुशी की पोटली भी कह सकते हैं. बच्चों को अपनी पूंजी कभी ना समझें. उन पर अपनी बात को जबरदस्ती ना थोपें. बस उनके अपनी आँखों के सामने बड़ा होने को देखें और खुश रहें.

बच्चों की जिद पूरी ना करें बल्कि सच्चा प्यार दें-


आजकल ज्यादातर माँ-बाप बच्चों की हर मांग, हर जिद पूरी करते हैं. इन्हें लगता है कि वो उन्हें प्यार दे रहे हैं. लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी गलती है. यहाँ आप ये ध्यान दें कि उसकी हर मांगी चीज सिर्फ उसकी जिद है या उसके लिए जरुरी भी है. आप हमेशा सही निर्णय लें और उसके लिए जरुरी बात ही माने. 

सीखाने की जल्दी ना करें, आप खुद पहले सीखें-


आप ये बात ध्यान दें कि आपका बच्चा आपसे ज्यादा खुश रहता है. यानि ख़ुशी और मस्ती की काबिलियत आपसे ज्यादा आपके बच्चे में है. जब बच्चे हमारे जीवन में प्रवेश करते है तो हमें फिर से अपना बचपन याद आ जाता है. आपको कुदरत एक बार फिर से ये मौका देती है कि आप  खुशियों को अपने जीवन में जगह दें. यानी बच्चों को सीखाने  की बजाय उनसे सीखें.

वो जो बनना चाहें बनने दें-


कभी भी अपने बच्चों पर अपनी असफलता ना थोपें. यानि आप जो नहीं कर पाए उसे करने का बच्चों को लक्ष्य न बनायें. उन्हें जो बनना चाहते हैं वो ही बनने दें. कई बार जो हम सोचने में भी डरते हैं हमारे बच्चे उसे ही अपना लक्ष्य बनाना चाहते हैं. ऐसे में उनके विरुद्ध न जाकर उनका होंसला बढ़ाएं. आज की पीढ़ी बहुत एक्टिव और निडर है. उनकी सोच डर को जीतना सीखाती है न कि उससे डरने की.

आस-पास प्यार भरा माहौल बनायें-


कुछ घरों में हरदम एक डरा -सहमा सा माहौल बना रहता है. उन घरों के बच्चे भी बहुत डरे हुए होते हैं. ऐसे में उनका विकास होना असम्भव है. आप ये कैसे सोच सकते हैं कि ऐसे माहौल में आपकी सन्तान खुश होकर जी पायेगी.

इसलिए इस बात की गाँठ बाँध लें कि आप अपने घर में खुशनुमा और हँसता मुस्कुराता माहौल बनायेंगे.

बच्चों को दोस्त बनायें-


आप उनके बॉस न बनकर दोस्त बनें. इससे आपके बच्चे आपके साथ दोस्ताना व्यवहार करेंगे. अपनी हर ख़ुशी और चिंता आपसे शेयर करेंगे. जहाँ जरूरत होगी आप उनका मार्गदर्शन भी कर पायेगे. 

बचपन को पूरा जीने दें-


कई लोग अपने बच्चों को जल्दी बड़ा करने  में लगे रहते हैं. वे ये नहीं जानते कि अगर वो उम्र भर भी बचपन जियेंगे तो भी कोई बुराई नहीं है. उन्हें बड़ा करने की जल्दी कभी न मचाएं. जब बच्चे अपनी बच्चों वाली हरकतें करते हैं तब ख़ुशी ही फैलती है. बच्चों को बच्चा ही रहने दें.

खुद को खुशनुमा बनायें-

जिन बच्चों के माँ-बाप हरदम हँसते मुस्कुराते रहते हैं उनके बच्चे भी बहुत अच्छे इंसान बनते हैं. ये तो आप जानते ही हैं कि बच्चों पर अपने आस-पास होने वाली हर क्रिया का असर होता है. जैसे टी.वी, स्कूल, पडोसी और हर वो चीज जो उनके सम्पर्क में आये. इन सबमे जो उन्हें सबसे ज्यादा मनभावन लगेगा वो उसी तरफ खिंचेंगे.

ऐसे में उनके आस-पास आपको खुशनुमा माहौल बनाना होगा. इससे वो हर अच्छी बात को ही ग्रहण करेंगे. आप उनके साथ ज्यादा वक्त गुजारें. जैसे बाते करें, खेलें, घुमे-फिरें. मतलब ज्यादा उनके साथ रहें. अगर आप खुद खुश रहने वाले इंसान हैं तो वो जरुर आपसे बहुत कुछ सीख पायेगे.

हर वक्त खुद को सम्मान न दिलाएं-

कुछ माता-पिता को हमने देखा है कि हर वक्त अपने बच्चों को कहते रहते हैं कि "हमारी इज्ज़त करो." हमें तुम्हारे माता-पिता बनाया है तो कुछ सोच कर ही बनाया होगा. ऐसा कहने की बजाय आप उन्हें एक अच्छा इंसान बनायें. इज्ज़त करना तो वो वैसे ही सीख जायेंगे. उन्हें बार-बार कहना नहीं पड़ेगा.
दोस्तों, आखिर में मैं ये ही कहूँगी कि अगर आप अपने बच्चों की परवरिश अच्छी तरह से करना चाहते हैं तो आप खुद खुशनुमा नेचर वाले बनिये. खुद शांत और प्यार से भरा व्यवहार कीजिये. आपके बच्चे अपने आप आपके सामने ही एक अच्छे इंसान बन कर जरुर उभरेंगे.

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8 टिप्पणियाँ

  1. Thanks for the tips. I'm on the verge of becoming a first-time parent. This sounds really good :) :)

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  2. aaj meri beti ka janam din hain. Appaka yeh article mereliye bahut kaam aayega.

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  3. @Sitharaam Jayakumar
    Oh bahut badhayi apko.

    जैसे खिले फूल बगिया में,

    तुम आ खिली मेरे अंगना में,

    महके जैसे खुशबू फूलों की,

    जीवन मेरा महकाती खुशबू बिटिया की.

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  4. @dpranita583
    thank you very much, mam.

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  5. Kalaa, Apke vichaar bahut aache hai. Apka lekh padhke bahut acha laga :) Sukhriya :)

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  6. @Sachin Baikar
    dhnywad apka, mere liye ye khushi ki baat hai.

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