अनिद्रा(sleeplessness) कारण और खास निवारण


अनिद्रा(sleeplessness) कारण और खास निवारण





आज की आधुनिक जीवन शैली के कारन आज जो रोग तेजी से फ़ैल रहा है वो है अनिद्रा। रात को नीँद ना आना, देर रात तक  आना, एक बार आँख खुल जाये तो दुबारा नींद ना आना, ये सब वाक्य हर इंसान से सुनने को मिल रहे हैं। हम सब ये बात अच्छी तरह जानते हैं कि अच्छा स्वास्थ्य उसी इंसान का माना जाता है जिसे भरपूर नींद आये, भरपूर से मतलब है कि  एक वयस्क इंसान को कम से कम 6 से 8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए। शिशुओं में नींद की अवधि 18 से 14 घण्टे तक रहती है, वृद्धों में ये 6 घण्टे भी पर्याप्त मानी जाती है।  लेकिन जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, शरीर को नींद की आवश्यकता कम होने लगती है।  वैसे तो नींद की सामान्य जरूरत हर इंसान के लिए अलग-अलग होती है।





 

 

अनिद्रा(sleeplessness) कारण और खास निवारण





 


समय के अनुसार निद्रा की स्थिति बदल जाती है, जैसे रात को 12 बजे से पहले जो नींद आती उसे एक हल्की सी हलचल भी तोड़ देती है, इस दौरान स्वप्न भी नहीं आते। लेकिन 12 बजे के बाद नींद की गहराई बढ़ जाती है, इस वक़्त शोर-शराबा भी नींद नहीं तोड़ सकता। और साथ ही इस दौरान आने वाले स्वप्न भी अक्सर याद नहीं रहते। अगर माना जाये तो नींद की असली गहराई 3-4 बजे के आस-पास होती है। 


 


 लेकिन कई मानसिक या शारीरिक  कारणों के चलते व्यक्ति को नींद ना आने की बीमारी लग जाती है और तब ना केवल शरीर व्याधिग्रस्त होकर थकने लगता है बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति कमजोर हो जाता है। अनिद्रा का रोग अधिकृत रूप से गाँवों की बजाय शहरों में देखा जाता है, चिंता, अवसाद, डिप्रेशन और थकान आदि सब अनिद्रा के ही symptoms हैं। वैसे नींद ना आने का सबसे बड़ा कारण  मानसिक उथल-पुथल होता है, इंसान के दिमाग में ना जाने कौन -कौन  से विचार उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। इस उथल-पुथल से नींद व्यक्ति से कोसों दूर भाग जाती है।  


 


कई लोगों की मज़बूरी होती है की वो लोग रात में ना सोएं, क्योंकि उनका कार्य व्यापर ही रात को होता है।  जैसे- रात को ड्यूटी पर जाना या ऐसी दुकान जहाँ रात को ही काम हो और कहीं चौकीदारी भी करनी पड़ती है।आजकल बहुत से लोग काम-द्वन्द सुचारू रूप से ना चल पाने के कारण  परेशान रहते हैं, और ये परेशानी उनकी नींद में खलल पैदा करती है। कई बार दिमाग में ऐसी बेचैनी घर कर जाती है कि  न लेटते बनता है और ना बैठते, ऐसी स्थिति में इंसान चारपाई छोड़कर सोफे या कुर्सी पर जा बैठता है। उसका मन उद्वेलित हो उठता है। 


 


आज के वक़्त अनिद्रा का सबसे बड़ा कारण  आपसी प्रतियोगिता भी है, इंसान हर वक़्त एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में इतना व्यस्त हो जाता है की एक अच्छी नींद को तरस जाता है। पहले तो नींद आती ही नहीं। अनिद्रा से बचने के लिए रोगी नींद की गोली लेना शुरू कर देता है, लेकिन अगर सही मायने में कहा जाये तो नींद की गोली अनिद्रा का सही इलाज नहीं है। ये नींद की गोलियां आपको क्षणिक आराम दे सकती हैं लेकिन इस समस्या का पूर्ण समाधान नहीं है। 


 




 

अनिद्रा का निवारण:


अनिद्रा से बचने के लिए योगासन, समय पर सोने की आदत, हल्का भोजन, मानसिक शांति और स्थिरता बनाये रखना, ये सब बातें इस रोग में सबसे अधिक सहायक सिद्ध होती हैं। और एक बात और अगर आप संगीत या पुस्तक प्रेमी हैं तो रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपनी पसंद का संगीत धीमी आवाज में सुनें, अपनी पसंद की पुस्तक पढ़ें जो अच्छा साहित्य हो। इससे भी आपको अपनी अनिद्रा से निजात मिलेगी।  और आप सुकून भरी नींद के मालिक बनेंगे। 


  


 साथ ही अनिद्रा होने की समस्या से निकलने के लिए उस व्यक्ति को शारीरिक कसरत में बढ़ोतरी करनी चाहिए।  जैसे अपनी पसंद के खेल-कूद, और योगासन करें। जिससे आप एक सुकूनभरी जिंदगी जी पाएंगे।  ऐसी स्थिति में हंमेशा खुश रहें, अगर इंसान को नींद कम आये तो वैसे इसमें कोई हानि नहीं है, इसलिए इस विषय पर ज्यादा और लगातार सोचना भी नींद को और दूर कर देगा।  ये भी हो सकता है कि  अगर कोई इंसान पूरी रात सोकर आराम करे और ऊंघता रहे तो भी वो बिना थके अगले पुरे दिन काम कर सकता है, इतना सब हो और फिर भी नींद ना आये तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।  और अगर जरूरी हो तो मनोचिकित्सक  के पास जाने में भी कोई हर्ज़ नहीं है।  हमें इसके मूल कारण को समझना होगा, समय रहते इस रोग से बाहर निकल कर अपनी जिंदगी को ऊर्जावान और खुशनुमा बनाएं। 


 


घरेलू नुस्‍खों (Gharelu Nuskhe) को हमेशा सावधानी पूर्वक और उनके बारे में पूरी तरह जानकारी करके ही प्रयोग कीजिए, नहीं तो इनका साइड इफेक्ट भी हो सकता है। 



आपको ये जानकारी कैसी लगी आप अपनी राय मुझे अवश्य लिखें। मुझे आपके सुझावों का इन्तजार रहेगा।     




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