माँ का साथ, जैसे जन्नत का अहसास



[caption id="attachment_1106" align="alignnone" width="960"]माँ का साथ, जैसे जन्नत का अहसास माँ का साथ, जन्नत का एहसास[/caption]

 

https://youtu.be/oC3vxBjmlhs

 

आज जब मै खुद हूँ एक माँ,


 

याद आती है मुझे अपनी माँ,


 


 

कि किस तरह से वो हमे


 

मुश्किलों में पाला करती थी,


 


 

अब लगा मुझे पता कि कितना


 

मुश्किल है एक माँ का फ़र्ज़ निभाना,







 

रात भर जगना अपने लाडले के साथ,


 


 

उसे सूखे में सुलाना और खुद गीले में सोना,


 


 

उसे खिलाना और खुद भूखे रह जाना,


 


 

उसकी इक हंसी पर सारी थकान भुला देना,


 


 

खुद दुखी रह कर उसे सुखी रखना,


 


 

अपने शिशु के लिए सारी दुनिया से लड़ जाना,


 


 

सारी दुनिया बदली लेकिन ना बदला


 

बस इक रिश्ता,  माँ का रिश्ता.


 

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