केरल में प्रकृति का भयावह कहर/FLOOD AFFECTED AREAS OF KERALA

केरल में प्रकृति का भयावह कहर/FLOOD AFFECTED AREAS OF KERALA


केरल में प्रकृति का भयावह कहर/FLOOD AFFECTED AREAS OF KERALA


कैसा ये कहर प्रकृति का है ये आया 


डूब गये हैं सारे ओर-छोर 


रुक गयी है साँसें, बिछुड़ गये हैं अपने   


रह गये सबकी आँखों में अधूरे सपने  


प्रकृति कर रही खेल अनोखे   


कहीं तो है सूखा और कहीं आई बाढ़ 


किसी का टूटा घर और किसी का सपना


तिनका-तिनका बटोर बनाया था इक घर प्यार से 


जैसे बया बनाती अपना घोंसला रेशमी धागों से 


समर्पण-अनुशासन और आस्था-विश्वास का मेल   


स्नेह भरा था इसमें, लेकिन खेला प्रकृति ने भयावह खेल 


अब तो केरल के हर घर से ख़ुशी है रूठी   


हर इक इंसान की हर आस है जैसे टूटी 


अब तो करते हम दुआ हर घडी और पल   


खुशियाँ हर घर में लेकर आये कल 


आओ हम सब मिलकर करें कुछ ऐसा 


आये हर घर और चेहरे पर  तेज़ पहले जैसा .....

2 टिप्पणियाँ

  1. बहुत दर्दनाक स्थिति हैं। काश, हम कुछ कर पाते। बहुत मार्मिक वर्णन किया हैं आपने।

    जवाब देंहटाएं
  2. ज्योति जी आपने बिलकुल सही कहा. किसी का दुःख देखकर जो दिल न पिघले वो दिल नहीं पत्थर है.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने