ईसबगोल एक तरह की भूसी है, जो ईसबगोल के दाने पीसकर बनाया जाता। है। गाँव और देहातों में तो इसका बहुत चलन है, आयुर्वेद(Ayurved) में इसका अपना खास महत्व है। यह अंतड़ियों(Intestine) को मुलायम करता है, शरीर के मल(Potty) को बाहर निकालता है। पेट में उठने वाले मरोड़( दर्द) को दूर करता है,
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ईसबगोल के विभिन्न नाम:
ईसबगोल को अलग-अलग जगह अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे संस्कृत में ईसबगोल , पंजाबी, मराठी और हिंदी में ईसबगोल, Englishमें Psyllium Seed Husk कहते हैं।
ईसबगोल के उपयोग:
- 1 चम्मच ईसबगोल गर्म दूध में दाल दें, रातभर फूलने दें। सुबह दही डालें सोडा, नमक, जीरा मिलाकर खाने से आंव बंद होता है।
- 1 चम्मच ईसबगोल ठंडे पानी में दाल दें, 2घण्टे बाद पीलें, पेट में उठने वाली मरोड़ मिट जाएँगी।
- ईसबगोल की भूसी को भिगोकर उसमे खांड डालकर पीने से पेशाब जलन मिट जाती है।
- अगर किसी ने कांच, कंकड़ खा लिया हो तो गर्म दूध के साथ ईसबगोल की भूसी दिन में 3 बार लें।
- उनका असर जाता रहेगा।
- 10 ग्राम मिश्री के साथ 10 ग्राम ईसबगोल एक साथ 1 गिलास पानी में डालें और इसमें थोड़ा सा खस-खस का शर्बत भी मिला लें, इसे पीने से शीघ्र-पतन मिट जाता है।
- अगर किसी को दस्त लग रहे हों तो 100 ग्राम दही में ईसबगोल की भूसी लें, दस्त से जल्दी ही निजात मिलेगी।
- खूनी बवासीर होने पर ईसबगोल का लाभ देता है।
- ईसबगोल को कुल्ले के छालों में आराम मिलता है।
- ईसबगोल की भूसी को गर्म दूध के साथ लेने से पुराना कब्ज दूर होता है।
- ईसबगोल हमारी पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है।
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