
खर्राटे(snoring) हैं क्या :-
सोते समय सांस लेते हुए जो आवाज होती है, उसे खर्राटे कहते हैं और इंग्लिश में snoring कहते हैं। प्रायः ज्यादातर स्त्री-पुरुष सोते हुए, सांस लेते हुए थोड़ी बहुत आवाज करते हैं और कुछ बिलकुल नहीं करते और कुछ बहुत ज्यादा जोर से और विभिन्न तरह की आवाजें करते हैं।

खर्राटे(snoring) क्यों भरते हैं लोग:-
कुछ लोग सोते समय इतने जोरदार खर्राटे भरते हैं कि खर्राटों की आवाज दूसरे कमरे सोने व्यक्ति की भी नींद खराब होती है, उसकी नींद में बाधा पड़ती है।
खर्राटों में आवाज पैदा होने के कुछ कारण होते हैं जो निम्न हैं:-
1. नाक, कान व गले में कोई विकार या विकृति होना जैसे नाक की हड्डी टेढ़ी होना, नाक मस्सा होना, नाक में कोई गठान होना या जन्मजात गाँठ होना, नाक पीछे से बन्द हो जाना।
२. थाइरोइड ग्रन्थि(thyroid glands) की कम सक्रियता से एक्रोमेगैली(acromagly) की स्थिति निर्मित होना।
3. टॉन्सिल्स(Tonsilitis) या नाक के पीछे और गले के ऊपरी भाग के एडिनॉइड्स(Adenoids) में विकार होना।
4. नवजात शिशु(Newborn baby) में खर्राटे भरने की आदत सामान्य रूप से पायी जाती है जो कोई चिंता की कोई बात नहीं है, आयु बढ़ने के साथ ये अपने आप ठीक हो जाती है।
5. गले में गठन होना।
6. जन्मजात जीभ का बड़ा होना या थोड़ी पीछे की तरफ दबा होना।
7. स्लीप एप्निया सिंड्रोम(Sleep Apnia Syndrome)- यह एक तरह की मुश्किल वाली स्थिति है, जो खर्राटे पैदा करने का कारण हो सकती है।
खर्राटे((Snoring) किसे आते हैं :-
जिन लोगों की गर्दन मोटी होती है या जो लोग मोटे होते हों, ज्यादा शराब पीते हों, नींद की गोली खाते हों या anti-allergic दवाओं के आदि हों उन लोगों को खर्राटे ज्यादा आते हैं । आमतौर पर प्रौढ़ अवस्था के स्त्री-पुरुष में ज्यादा पायी जाती है।
खर्राटे बंद कैसे हों:-
इसके लिए पहले उन कारणों का पता लगाना होगा जिनसे खर्राटे पैदा होते हैं, मोटापा कम करें, चित ना सोकर करवट बदल कर सोएं, अगर चित सोने की आदत है तो पीठ की तरफ, एक गेंद मोज़े में भर कर पिन से अटका लें तो चित लेटते ही गेंद चुभने लगेगी और नींद खुल जाएगी, जिससे आप चित लेटने से बच सकेंगे।
ऐसे योगासन अथवा व्यायाम करें जो जो शरीर को और खासतौर से नाक, मुंह को साफ़, शुद्ध रखें और गले की मांसपेशियों को मजबूत रखें। धूम्रपान करना और शराब पीना दोनों निषिद्ध करें यानि एकदम बन्द करें।
अपने टॉन्सिल्स का ख्याल रखें और परहेज का पालन करें, दिन में 2 बार गरारे करें। जहाँ तक औषधीयों का मामला है तो रोगी की स्थिति देख कर ही बताया जा सकता है। कुछ स्थितियां जैसे नाक की हड्डी का टेढ़ा होना, मस्सा होना, टॉन्सिल्स, स्लीप एप्निया सिंड्रोम और एडिनॉइड्स आदि इनमे आपरेशन जरुरी हो जाता है।
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