दमा रोग के कारण, लक्षण और निवारण, Asthma Symptoms And Treatment In Hindi




आज बढ़ते हुए प्रदूषण(Pollution) के कारण, खान-पान में लापरवाही के कारण दमा(Asthma) अधिक से अधिक बढ़ता जा रहा है। और आज ये सबसे अधिक होने वाला रोग है। रसोईघर की गैस से लेकर, धूल-धुंएँ से भरा बाहर का वातावरण इसका खास कारण है, इसकी चपेट में बच्चे से लेकर, घरेलू महिलाएं और वृद्ध तक सब आ रहे हैं।

इससे बचने का सबसे बड़ा सरल उपाय है इसके होने के कारण को दूर करना और स्वस्थ(Fit) रहना। वैसे तो दमा वृद्धावस्था का रोग माना जाता था, लेकिन आज का दूषित वातावरण, अनियमित खान-पान और प्रदूषण(Pollution) के कारण हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।

 









दमा रोग के कारण, लक्षण और निवारण, Asthma Symptoms And Treatment In Hindi






 
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धुंएँ से, धूल के कणों से, ठंडे पानी से, दही-चावल के ज्यादा सेवन से कफ बढ़ाने वाला और देरी से पचने वाला भोजन करने से दमा रोग हो सकता है। पहले किया भोजन पचने से पहले दूसरा भोजन कर  लेना, तेल में तले हुए और पानी में रहने वाले प्राणियों का मांस खाने व मौसम बदलने से दमा रोग होता है।

लक्षण:-


   Ø  रोगी बार-बार बहुत जोर से, लेकिन मुश्किल से सांस ले पाता है। गले में सांय-सांय की आवाज आती है।

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  Ø  बोलने में तकलीफ होती है, रोगी हांफता है। कष्ट के साथ और धीरे-धीरे सांस लेकर रुकावट के साथ बात करता है।

  Ø  रोगी की आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है।

  Ø  रोगी का मुँह सूखता रहता है और उसकी आँखें बाहर निकली दिखती हैं। उसके माथे पर पसीना आ जाता है।

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  Ø  गले से कफ(Cough) बाहर निकालने के प्रयास में खांसी का जोर बढ़ता है।

  Ø  रोगी को लेटने में तकलीफ होती है और उसे तकिये का सहारा लेकर और झुककर बैठने में आराम मिलता है।

चिकित्सा:-


दमे के रोगी को औषधि के साथ-साथ अपने खान-पान का पूरा ध्यान रखना ज्यादा महत्व रखता है। अगर रोगी अपने दैनिक जीवन में अपने भोजन को नियमानुसार ग्रहण करे तो वो अपने इस रोग पर काफी हद तक काबू पा सकता है।

दमे के रोगी को अपने जीवन में इन खास बातों का ख़ास ख्याल रखना चाहिए-:

  •   दमे के रोगी को हमेशा सूर्य अस्त होने से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए।

  •   पीने के लिए हमेशा ऊष्ण(hot) पानी का इस्तेमाल करे।

  •   जब गाजर का मौसम हो तो रोगी को प्रतिदिन 1 किलो गाजर का रस पीना चाहिए।

  •   रोगी को हमेशा कूलर और ए.सी से दूर रहना चाहिए।

  •   दमे के रोगी को बहेड़े के चूर्ण को शहद के साथ सेवन से लाभ मिलता है।

  •  कच्ची मूली(Raddish) को छाया में सुखाकर उसे जलाकर उसकी भस्म(Ash) 1-1 ग्राम की मात्रा को शहद(Honey) के साथ सेवन से दमा रोगी को लाभ मिलता है।


रोगी के खाने योग्य वस्तुएं:-



 पुराने चावल, टिंडे, तुरई, पालक, मेथी, परवल, गाजर, बथुआ, चोलाई, कच्ची हल्दी, पपीता, अनार, चीकू, सेव इत्यदि।  



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रोगी के ना खाने योग्य वस्तुएं:-



  •  मटर(Peas),

  • लोबिया(Cowpea),

  • दही(Curd),

  • उड़द दाल(Urad dal),

  • बादाम(Almond),

  • नारियल(Coconut)

  • और खमीर(Yeast) उठाकर बनाये पदार्थ आदि के सेवन से बचना चाहिए। ठंडे पेय(Cold Drink) पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए।


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दमे के रोगियों को अपनी औषधि के साथ-साथ अपने खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। और ये बात उन्हें हमेशा याद रखनी चाहिए।


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