शीत ऋतु(Winter Season)में 8 तरह से सेहत का रखें ख्याल



आयुर्वेद का अर्थ है आयु का विज्ञान। अर्थात मनुष्य द्वारा अपना जीवन पूरी तरह स्वस्थ रहकर पूरा जीना ही आयुर्वेद का लक्ष्य है। इसीलिए आयुर्वेद में ऋतुओं के अनुसार जीवन को जीने के बारे में बताया जाता है, ताकि व्यक्ति उसके नियम अनुसार पालन करके 100 वर्ष तक जीवन जीएं। हर ऋतू में किस कारन से कोनसा रोग उतपन्न होता है और उस कारण का निवारण कैसे किया जाये इसके बारे में आयुर्वेद में बताया गया है।



 

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शीत ऋतू में ध्यान रखने योग्य सावधानियां:- 


1 . शीत ऋतू को सेहत बनाने का सीजन समझ कर अपने शरीर और स्वास्थ्य के पोषण और रक्षण के लिए उचित और आवश्यक भरपूर प्रयत्न करना चाहिए। जैसे व्यापारी अपने व्यापर के सीजन के दिनों में कड़ी मेहनत और उचित पुरुषार्थ करके अधिक से अधिक व्यापार करके आय प्राप्त करने की पूरी कोशिश करता है उसी प्रकार हमे शीत ऋतू आते ही (winter season) अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए। 


 


2 . इस ऋतू में भूख सहना और देर रात तक भोजन करना दोनों ही बहुत हानिकारक होते हैं, अतः सही वक़्त पर खाना और सोना दोनों ही बहुत जरूरी हैं। भोजन करने के तुरन्त बाद ठंडे वातावरण में रहना, शारीरिक और मानसिक कार्य करना, देर रात तक जागना, यौन क्रिया करना ये सभी काम पाचन क्रिया में बाधा डालते हैं। और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। पोषक तत्वों रहित भोजन, रूखा-सूखा, हल्का और कम मात्रा में आहार लेना भी हानिकारक है, इसलिए ये सब काम नहीं करना चाहिए। 



 


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3 . शरद ऋतू में ज्यादा देर तक रहना मतलब सहन ना होते हुए भी सहन करना बिलकुल सही नहीं है, इसे अतियोग कहते हैं। इसी तरह शरद ऋतू से बचने के लिए अधिक गर्म वातावरण को सहन करना मिथ्या योग कहलाता है। और शरद ऋतू से पूरी तरह से बच कर रहने को शीत का हीन योग कहते हैं।  


4 . शरद ऋतू में विवाहित स्त्री-पुरुषों को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, उन्हें पोष्टिक भोजन खाना चाहिए। बल बढ़ाने वाले नुस्खे जैसे लड्डू, पाक, बर्फी आदि के रूप में सुबह खाली पेट और रात में सोते समय खूब चबा-चबा कर पुरे शीत काल में जरूर सेवन करना चाहिए। ये सब कुनकुने गर्म दूध के साथ इन्हें सेवन करना चाहिए।  



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5 . शरद ऋतू के आगमन के साथ ही त्वचा में परिवर्तन अनुभव होते हैं, त्वचा में खिंचाव, शुष्कता का अनुभव होना, हाथ-पैरों का फटना, होठों व गालों का फटना, हाथ-पैरों का काला होना, पैरों में बिवाइयां पड़ना ये आम समस्याएं हैं, इनसे छुटकारा पाने के लिए जरा सी देखभाल की जरुरत है। ना कि महंगे रसायनयुक्त सौंदर्य प्रसाधनों की। इसके लिए हमारी छोटी सी रसोई ही हमे इससे बचा सकती है।  


6 . शरद ऋतू में चाँदनी में रहना, शरद्काल के फूलों की माला पहनना, शरीर पर चन्दन और खस का लेप करना, तालाब के किनारे घूमना, हल्के और साफ़ ऊनी कपड़े पहनना, तेल की मालिश करके कुनकुने पानी से नहाना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक  होता है। 



7 . शरद ऋतू में क्या नहीं खाएं:-


हमे चावल, गेहूं, जौ, मुंग की दाल, शक्कर, शहद, परवल, आंवला, अंगूर, दूध, गुड़, थोड़ी मात्रा में नमकीन वस्तुएं आदि हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।


 



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8 . शरद ऋतू में क्या नहीं करें :-


ओस पर नंगे पैर चलना, ओस गिरते वक़्त खुले में रहना, अत्यधिक कसरत करना, पुरवैया हवा में रहना, खट्टे, कडुवे, तले, गर्म, चर्बीयुक्त, भोजन का सेवन, लाल मिर्च का सेवन, दिन में सोना, भरपेट भोजन ना करना, आदि से बचना चाहिए।


तो दोस्तों आज से ही अपना ध्यान रखना शुरू कीजिये और स्वस्थ रहिये।  



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