Impressive Health Benefits of Eating Curd


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दही हमारे भोजन का खास हिस्सा माना जाता है, दही अपने में अनेकों गुण समेटे है। दही हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हितकर होता है। माना जाता है कि  दही 45000 वर्षों से प्रयुक्त हो रहा है। दही हमारे खान-पान के साथ हमारी त्वचा के लिए, बालों के लिए भी बहुत लाभकारी है। दही में पाए जाने वाले पोषक तत्व निम्न हैं:-


[caption id="attachment_1036" align="alignnone" width="600"]Impressive Health Benefits of Eating Curd img: health and beauty tips[/caption]

  Calicium, protien, lactose, आयरन, riboflavin, Vitamin B6 और B12 पाए जाते हैं। दही में दूध की अपेक्षा calcium ज्यादा मात्रा में होता है। इसीलिए ये सेहत के लिए दूध से ज्यादा लाभप्रद है। क्योंकि दूध में fat और चिकनाई शरीर को एक उम्र के बाद नुक्सान देता है।  

दही के गुण:-


दही गर्म, अग्निदमन करने वाला, स्वाद में कसैला, चिकना , भारी, और खट्टा होता है। ये स्वाश, पित्त, रक्तविकार और सूजन पैदा करता है। इससे कफ और मेद बढ़ता है, ये मल के आवेग को भी रोकता है। 

 दही के भेद:-दही 5 तरह का होता है 



  1. फीका

  2. खट्टा


     3.बहुत खट्टा

  1. मीठा


   और

  1. खट्टा-मीठा


1. फीका दही:-


 ये सेवन करने से पेशाब अधिक आता है, और जलन भी पैदा करता है। 

 2. खट्टा दही:-


 ये दही रक्त-पित्त और कफ पैदा करता है। 

 3. बहुत खट्टा दही:-


 अत्यधिक खट्टा दही रक्त-पित्त रोग उतपन्न करता है, गले में जलन और दाँत खट्टे करता है। 

 4. मीठा दही:-


 मीठा दही वात-पित्त में लाभकारी है, कफ का नाश करता है और रक्त का शोधन यानि सफाई करता है। 

 5. खट्टा-मीठा दही:-


 खट्टा-मीठा दही मीठे दही के समान गाढ़ा और उसी की तरह गुणी होता है। 

 6.पकाये दूध का दही:-


 दूध को अच्छी तरह गर्म करके दही जमाया जाता है, ये दही बहुत स्वादिष्ट, अच्छा, रुचिकारक और चिकन होता है। तासीर में ठंडा, भूख बढाने वाला लेकिन पित्त करक होता है। 

7. शक्कर मिला दही:-


 दही में बूरा मिलाये तो ये बहुत अच्छा होता है, इससे प्यास, पित्त, रक्तविकार आदि का नाश होता है। 

8. गुड़ मिला दही:-


 ये दही वातनाशक, पुष्टिकारक, और पचने में भारी होता है। 

 दही का पानी भी कसैला, खट्टा, पित्तकारक, रुचिकारक, ताकतवर, और हल्का होता है। ये दस्त, दमा, पीलिया, तिल्ली, वायु, कफ, और बवासीर में आराम देता है।

  9.मलाई उतरा दही:-


 बिना मलाई का दही दस्त रोकने वाला, कसैला, वात कारक, हल्का होता है।  संग्रहणी रोग में मलाई के बिना दही खाने से आराम आता है। 

  • दही की मलाई:-


 दही की मलाई वाट-पित्त-अग्नि नाशक, पित्त कफ कारक होती है। मलाई युक्त दही से दस्त आ सकता है। 

  •  गाय के दूध का दही:-


 गाय के दूध का दही खासतौर से मीठा, खट्टा, पुष्टिकारक, वातनाशक होता है। सब प्रकार के दही में से गाय का दही ही सर्वश्रेष्ठ होता है। 

  •  भैंस के दूध का दही:-


 भैंस का दही बहुत अधिक चिकना, कफकारक, वातनाशक, भारी और रक्तविकारी होता है। 

  •  बकरी के दूध का दही:-


 ये दही उत्तम, हल्का, वात-पित्त-कफ नाशक होता है। इससे  बवासीर, खांसी, श्वाश, कमजोरी, और  क्षय रोग-नाशक होता है। 

  •  ऊंटनी का दही:-


 ऊंटनी का दही खट्टा, खारा होता है, ये दही उदर रोग, कोढ़, बवासीर, पेट दर्द, दस्त, कब्ज, वात और कीड़ों को खत्म करता है। 

 दही खाने के नियम:-

 दही को कभी रात में नहीं खाना चाहिए, अगर कभी खाना भी पड़े तो साथ में मुंग की दाल, घी-बूरा आदि का सेवन ना करें। आगे रक्त-पित्त सम्बन्धी रोग हो तो रात में कभी दही का सेवन ना करें। 

गाय के दही से नाश होने वाले रोग:-

आंव के दस्त, पेट में मरोड़ में गाय का दही उत्तम है। अगर दस्त के साथ बुखार भी है तो दही का सेवन ना करें। 

एक प्रकार का सिरदर्द जो सूर्योदय के साथ बढ़ता है और सूर्य अस्त होने के साथ-साथ कम होता जाता है, ओइसे सिरदर्द में सूर्योदय से पहले गाय का दही और भात का लगातार एक हफ्ते सेवन से लाभ मिलता है। 

गर्मी के मौसम में दही और उससे बनी छाछ का प्रयोग जरूर करना चाहिए क्योकि ये पेट की गर्मी का नाश करती है, रोजाना गर्मी में दही का सेवन हमे बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है।    

 
 

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