मेरा भारत और मेरे अजीब देशवासी

रखो चारों और सफाई ये है नारा


मेरा भारत जो मुझे अपनी जान से प्यारा है. मेरा ये देश है ही इतना प्यारा कि हर कोई इसे प्यार किये बिना नहीं रह सकता. लेकिन मेरे कुछ देशवासियों की कुछ एक आदतें जो चाहे-अनचाहे मुझे परेशां कर जाती हैं.


उन्ही आदतों में से एक आदत जो मुझे बहुत अजीब लगती है और वो है गंदगी का लाल रंग. जो लोग बिना सोचे समझे हर कहीं पान मसाला, पान, और गुटखा आदि खाकर उनकी पीक फैंक देते हैं. अपने देश को गंदा करते हैं. शिकायत है मुझे उनसे कुछ इस तरह-


 

सुनो सुनो दोस्तों,


मुझे है बहुत कुछ कहना,


अब तो मुझे नहीं कुछ और सहना, 


मेरा ये देश इंडिया है बड़ा न्यारा,


यहाँ के लोग हैं सबसे न्यारे,


सुबह से लेकर रात तक,


रात से लेकर सुबह तक, 


सबकी हर हरकत पर है मेरी नजर,


करती है मुझे गंदगी हरपल परेशां, 


मुझे  होती कोफ़्त उन लोगों से, 


जो फैलाते है हर कहीं गंदगी लाल,


है मुझे उनसे ही खास मलाल, 


सभी दीवारें है पीक से लाल, 


फर्श भी हुआ पीक से लाल, 


जो खाते हैं पान,


गुटखा और पान मसाला,


बनाते अपने स्वास्थ्य  को रोग का निवाला,


अब तो है हर घर सफाई का ही नारा, 


बड़े, बूढ़े और बच्चों ने इसे स्वीकारा,


हो रही चारों और दुहाई,


हर और तुम रखो सफाई,


ये लाल रंग की गंदगी,


स्वास्थ्य तुम्हारा है लूटे,


ज्यादा है गर प्यार इस रंग से,


तो इसको रखो अपने मुंह में दबाये,


मेरे देशवासियों करो उनको मना,


जो इसे हर और है फैलाये.

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